
अमेरिका ने विदेशी यात्रियों के लिए एक नया पायलट प्रोग्राम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत कुछ देशों के आगंतुकों को $15,000 (लगभग ₹12.5 लाख) तक का वीजा बॉन्ड (Visa Bond) देना पड़ सकता है। इस फैसले से दुनिया भर के कई देशों के लोग, खासकर कम आय वाले देशों के पर्यटक और कारोबारी, सीधे तौर पर प्रभावित हो सकते हैं।
क्या है यह नया ‘वीजा बॉन्ड’ प्रोग्राम?
यह एक 12 महीने का पायलट प्रोग्राम है, जिसके तहत अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे कुछ खास पर्यटक और व्यापार यात्रियों से वीजा बॉन्ड की मांग करें। यह नियम उन देशों के लोगों पर लागू होगा जहाँ वीजा ओवरस्टे (अनुमति से अधिक रुकने) की दर अधिक है।
बांड की राशि तीन अलग-अलग श्रेणियों में होगी:
- $5,000
- $10,000
- $15,000
यह राशि यात्री को दिए गए जोखिम स्तर के आधार पर तय की जाएगी। यदि यात्री अपने वीजा की शर्तों का पालन करता है, तो उसे यह राशि वापस मिल जाएगी। लेकिन, अगर कोई यात्री अपने वीजा की अवधि से अधिक समय तक रुकता है, तो उसकी यह राशि जब्त कर ली जाएगी। इसके अलावा, 1 अक्टूबर से $250 की ‘वीजा इंटीग्रिटी फीस’ भी लागू होने की संभावना है, जिससे अमेरिका की यात्रा दुनिया के सबसे महंगे गंतव्यों में से एक बन सकती है।
किन देशों पर होगा इसका असर?
सरकार ने अभी तक प्रभावित होने वाले देशों की अंतिम सूची जारी नहीं की है, लेकिन अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में लगभग 5 लाख वीजा धारक ऐसे थे जो तय समय से ज्यादा रुके थे। इनमें से एक बड़ा हिस्सा अफ्रीका के कम आय वाले देशों के यात्रियों का था, जिनमें चाड, लाओस, हैती, म्यांमार, सूडान, जिबूती, इरिट्रिया और लाइबेरिया जैसे देश शामिल हैं।
अच्छी खबर यह है कि भारतीय यात्रियों के लिए ओवरस्टे की दर सबसे कम है। भारत से अमेरिका जाने वाले यात्रियों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वे वीजा नियमों का सबसे ज्यादा पालन करते हैं।
आलोचना और संभावित नुकसान
इंडस्ट्री से जुड़े समूहों ने इस पायलट प्रोग्राम की आलोचना की है। उनका मानना है कि यह वैध यात्रियों को हतोत्साहित कर सकता है और पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचा सकता है, जो पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रहा है। आलोचकों का तर्क है कि ट्रम्प प्रशासन का यह संदेश साफ है कि अगर आप भुगतान कर सकते हैं, तभी आपका स्वागत है।
हालांकि अमेरिका इसे सिर्फ एक ‘टेस्ट’ बता रहा है, लेकिन कई विदेशी यात्रियों के लिए यह एक ‘दीवार’ जैसा महसूस हो सकता है, जो उनकी अमेरिकी यात्रा की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है।
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