परिचय: रिलीज से पहले विवादों में ‘The Taj Story’
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता परेश रावल अभिनीत फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ (The Taj Story) अपनी रिलीज से पहले ही बड़े विवादों में घिर गई है। विवाद की जड़ फिल्म का पोस्टर है, जिसमें ताजमहल के गुंबद से भगवान शिव को निकलते हुए दिखाया गया है, जिसने देश में ताजमहल की पहचान से जुड़े पुराने विमर्श (Tejo Mahalaya) को फिर से हवा दे दी है।
इन्हीं आरोपों और विवादों पर सफाई देने के लिए फिल्म के मुख्य अभिनेता परेश रावल और राइटर-डायरेक्टर तुषार ने मीडिया से बात की। उन्होंने फिल्म पर लगे प्रोपेगेंडा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दर्शकों से फिल्म देखने के बाद ही कोई राय बनाने का आग्रह किया है।

1. विवाद की जड़: पोस्टर और ‘तेजो महालय’ का दावा
यह विवाद तब शुरू हुआ जब फिल्म का पोस्टर सामने आया, जिसमें ताजमहल के गुंबद के ऊपर से भगवान शिव की छवि निकलती दिख रही थी। यह पोस्टर उन दावों को बल देता है कि ताजमहल वास्तव में एक मकबरा नहीं, बल्कि शिव मंदिर (तेजो महालय) है।
लोगों ने तुरंत फिल्म को ‘प्रोपेगेंडा फिल्म’ करार देते हुए धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और देश में अशांति फैलाने की कोशिश का आरोप लगाया। इस मामले पर अभिनेता परेश रावल ने पहले अपने सोशल मीडिया से पोस्टर भी डिलीट कर दिया था।
परेश रावल ने पोस्टर क्यों हटाया? पोस्टर हटाने पर परेश रावल ने स्पष्टीकरण दिया कि उन्होंने यह इसलिए किया क्योंकि फिल्म मेकर्स एक आधिकारिक डिस्क्लेमर जारी करने वाले थे, ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी को शुरू में ही दूर किया जा सके।
2. फिल्ममेकर्स का स्पष्टीकरण: “यह प्रोपेगेंडा नहीं, कहानी है”
राइटर-डायरेक्टर तुषार ने विवाद पर सीधा जवाब देते हुए कहा कि फिल्म का उद्देश्य धार्मिक विवाद खड़ा करना बिल्कुल नहीं है।
“ताजमहल को कोई मकबरा कहता है, कोई मंदिर। इन दोनों नोशन्स (धारणाओं) को हमने एक पोस्टर में मिलाकर दिखाने की कोशिश की है। अगर हमारी फिल्म एजेंडा बेस्ड होती कि इसमें शिव टेंपल है, तो हमारी फिल्म का नाम ‘तेजो महालय’ भी हो सकता था। लेकिन हमारी फिल्म का नाम है ‘The Taj Story’, जो इसकी असली कहानी को हिस्टोरिकल फैक्ट्स और रिसर्च के आधार पर दर्शाती है।”
तुषार ने यह भी साफ किया कि फिल्म में कोई भी ऐसा फिकशियस (काल्पनिक) तत्व इस्तेमाल नहीं किया गया है जो फालतू के सांप्रदायिक विवाद भड़काए।
3. परेश रावल का कड़ा जवाब: ‘पहले फिल्म देखो’
फिल्म पर लग रहे ‘धर्म विशेष को टारगेट करने’ के आरोपों पर परेश रावल ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि उनके किरदार ने फिल्म के अंदर ही पत्रकारों से कहा है:
“भैया, इसको हिंदू मुस्लिम प्रॉब्लम मत बनाना। यह मसला हिंदू मुसलमान का मिला-जुला इतिहास है। उसको अलग-अलग दिशा में मत घसीटना।”
उन्होंने सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना करने वाले यूजर्स को ‘सब स्टैंडर्ड’ बताते हुए कहा कि बिना फिल्म देखे किसी के लिए राय बनाना या ‘कैरेक्टर असेसिनेशन’ करना गलत है। उन्होंने बार-बार दर्शकों से आग्रह किया कि वे पहले फिल्म देखें, फिर सवाल करें।
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4. निष्कर्ष और रिलीज की स्थिति
The Taj Story फिल्म विवाद के केंद्र में होने के बावजूद, फिल्ममेकर्स अपने स्टैंड पर कायम हैं। वे चाहते हैं कि दर्शक ताजमहल से जुड़े उस सच्चे इतिहास को जानें जो शोध के बाद पर्दे पर लाया गया है। फिल्म का फोकस ताजमहल की कहानी पर है, न कि हिंदू-मुस्लिम के बखेड़े पर। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि फिल्म देखने के बाद दर्शकों की सारी गलतफहमियाँ दूर हो जाएंगी।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) ❓
Q1. ‘द ताज स्टोरी’ फिल्म विवाद का कारण क्या है?
A. फिल्म के पोस्टर में ताजमहल के गुंबद से भगवान शिव को निकलते हुए दिखाया गया है, जिसने ताजमहल के ‘मकबरा’ या ‘मंदिर’ होने के पुराने विवाद को हवा दे दी है।
Q2. क्या ‘द ताज स्टोरी’ एक प्रोपेगेंडा फिल्म है?
A. फिल्म के अभिनेता परेश रावल और डायरेक्टर तुषार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका दावा है कि यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और इसमें सांप्रदायिक विवाद भड़काने का कोई उद्देश्य नहीं है।
Q3. फिल्म के पोस्टर में शिव को क्यों दिखाया गया?
A. डायरेक्टर के अनुसार, यह दिखाने के लिए कि देश में ताजमहल को लेकर दो विपरीत धारणाएँ (मकबरा और मंदिर) मौजूद हैं। फिल्म इन दोनों के मिलन की कहानी पर केंद्रित है।
Q4. फिल्म के मुख्य कलाकार कौन हैं?
A. फिल्म में मुख्य किरदार जाने-माने अभिनेता परेश रावल निभा रहे हैं।
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