RBI की मौद्रिक नीति

आप सोच रहे हैं कि इस बार की RBI मौद्रिक नीति में आपके लिए क्या है, तो आप सही जगह पर हैं। हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा जारी की है। इसमें गवर्नर और उनकी टीम ने कई अहम सवालों के जवाब दिए, जिनका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था और आपके रोजमर्रा के जीवन पर पड़ सकता है।
आइए जानते हैं इस बैठक की 5 सबसे महत्वपूर्ण बातें:
1. रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं: आपके लोन की EMI का क्या?
इस बार की बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि लगातार 100 बेसिस पॉइंट्स की कटौती के बाद, रेपो रेट फिलहाल स्थिर रहेगा। इसका सीधा असर आपके बैंक लोन, जैसे होम लोन या कार लोन की EMI पर पड़ेगा, जिसमें तत्काल कोई बदलाव नहीं होगा।
गवर्नर ने इस फैसले के पीछे के कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि:
- पिछली रेट कट का असर अभी भी अर्थव्यवस्था पर पूरी तरह से दिखना बाकी है।
- महंगाई और वैश्विक हालातों को लेकर अभी भी काफी अनिश्चितता बनी हुई है।
2. महंगाई पर RBI की नज़र: खाने-पीने की चीज़ें क्यों हैं चुनौती?
आरबीआई ने माना कि कोर महंगाई (Core Inflation) तो काबू में है, लेकिन खाद्य महंगाई (Food Inflation) में लगातार हो रहा उतार-चढ़ाव एक बड़ी चिंता है। गवर्नर ने बताया कि हमारी महंगाई की बास्केट में आधे से ज़्यादा हिस्सेदारी उन खाने-पीने की चीज़ों की है, जिन पर वैश्विक घटनाक्रम का सीधा असर कम होता है। इसलिए, RBI का पूरा ध्यान घरेलू मोर्चे पर है, ताकि कीमतों को स्थिर रखा जा सके।
आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर पूरा मौद्रिक नीति वक्तव्य पढ़ें
3. GDP विकास दर: 6.5% पर कायम, पर लक्ष्य और बड़ा
इस साल के लिए GDP विकास दर का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा गया है। हालांकि, गवर्नर ने यह भी कहा कि यह दर आरबीआई की “आकांक्षा” से कम है। उनका मानना है कि भारत में 7-8% की औसत विकास दर हासिल करने की क्षमता है और हमारा लक्ष्य इससे कहीं ज्यादा होना चाहिए।
4. UPI पर चार्जेस: क्या बोले गवर्नर?
UPI पर लगने वाले चार्जेस को लेकर एक सवाल के जवाब में गवर्नर ने एक बड़ी बात कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि UPI को पूरी तरह से “फ्री” नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसकी लागत किसी न किसी को तो चुकानी ही पड़ती है। वर्तमान में यह लागत सरकार सब्सिडी के तौर पर उठा रही है। उन्होंने कहा कि यह तय करना ज़रूरी है कि UPI की स्थिरता के लिए इस लागत का भुगतान कौन करेगा।
5. रुपए की मजबूती और वैश्विक व्यापार पर RBI का रुख
अमेरिका जैसे देशों द्वारा लगाए गए नए टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा? इस पर RBI का मानना है कि इसका सीधा प्रभाव बहुत सीमित होगा। रुपए की अस्थिरता पर गवर्नर ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के दौर में यह सामान्य है और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना मजबूत है कि वह 11 महीने के आयात की ज़रूरतें पूरी कर सकता है।
कुल मिलाकर, आरबीआई ने महंगाई को काबू में रखने और विकास को बढ़ावा देने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। इन फैसलों का असर अगले कुछ महीनों में और स्पष्ट हो पाएगा।
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