राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों को उजागर किया, जिसके बाद भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चर्चा तेज हो गई। इस दिशा में सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) है, जिसे भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया था। यह मिशन न केवल ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है। आइए इस योजना के उद्देश्यों, सफलताओं और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करें।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) क्या है?
वर्ष 2013 में शुरू हुआ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन वास्तव में दो अलग-अलग योजनाओं को मिलाकर बनाया गया था: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM, 2005 में शुरू) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM, 2013 में शुरू)। इसका मुख्य उद्देश्य देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना है, ताकि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ मिल सकें।
इसके प्रमुख लक्ष्यों में शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृ मृत्यु दर (MMR) को कम करना, मलेरिया, टीबी और अन्य संचारी रोगों के मामलों को नियंत्रित करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च को कम करना शामिल है।
NHM की सफलताएँ और सकारात्मक प्रभाव
NHM के लागू होने के बाद से भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं:
- सार्वजनिक अस्पतालों का बढ़ा उपयोग: एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब लोग सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अधिक भरोसा कर रहे हैं। उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी सुविधाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 28% से बढ़कर 32.5% हो गई है।
- संस्थागत प्रसव में वृद्धि: इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की देखभाल पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप संस्थागत प्रसव (अस्पताल में होने वाले प्रसव) की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 6% से बढ़कर 70% तक पहुँच गई है।
- जेब से होने वाले खर्च (Out-of-Pocket Expenditure) में कमी: जब सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होता है और इलाज सस्ता हो जाता है, तो लोगों का अपनी जेब से होने वाला खर्च कम होता है। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, प्रति व्यक्ति अस्पताल में भर्ती होने पर होने वाले औसत खर्च में कमी आई है।
स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
NHM की सफलताओं के बावजूद, भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में कई बड़ी चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
- स्वास्थ्य पर कम खर्च: भारत सरकार अपनी जीडीपी का मात्र 1.2% से 1.6% ही स्वास्थ्य पर खर्च करती है, जो कि वैश्विक औसत से काफी कम है। आर्थिक सर्वेक्षण ने इसे बढ़ाकर 2.5% से 3% करने की सिफारिश की है। विकसित देशों में यह खर्च 8% से अधिक होता है।
- बिस्तरों की कम उपलब्धता: भारत में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर बिस्तरों का घनत्व (bed density) केवल 1 है, जो निम्न आय वाले देशों (1.2) और वैश्विक औसत (2.7) से बहुत कम है। इस कमी के कारण गंभीर परिस्थितियों में लोगों को अस्पताल में जगह मिलना मुश्किल हो जाता है।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट आवंटन को बढ़ाना होगा। NHM जैसी योजनाओं को और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए अधिक निवेश, बेहतर बुनियादी ढांचा और योग्य कर्मचारियों की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को एक नई दिशा दी है। इसने न केवल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच बढ़ाई है, बल्कि लोगों में सरकारी सेवाओं के प्रति विश्वास भी जगाया है। हालाँकि, एक मजबूत और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, जिसमें सरकारी खर्च में वृद्धि और बुनियादी ढाँचे में सुधार सबसे महत्वपूर्ण हैं।
और जानकारी के लिए नियमित विज़िट करें www.bharatkhabarlive.com