महिला स्वास्थ्य: गर्भाशय (यूटराइन) कैंसर के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

आजकल महिलाओं में कई तरह के कैंसर देखने को मिलते हैं, जिनमें स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर सबसे आम हैं। लेकिन, एक और कैंसर है जिसकी चर्चा कम होती है, फिर भी वह काफी तेजी से बढ़ रहा है – यूटराइन कैंसर (गर्भाशय का कैंसर)। यह कैंसर गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में होता है और इसकी जागरूकता की कमी के कारण अक्सर इसका पता देर से चलता है।
यूटराइन कैंसर के मुख्य कारण
पिछले 10-20 सालों में यूटराइन कैंसर के मामले काफी बढ़ गए हैं, जिसका मुख्य कारण हमारी बदलती जीवनशैली और खान-पान है। इसके कुछ प्रमुख कारण ये हैं:
- मोटापा (Obesity): मोटापा इस कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। हमारी बदलती वेस्टर्न डाइट (Western Diet) जिसमें प्रोसेस्ड, फैटी और फ्राइड फूड शामिल है, वजन बढ़ाती है। मोटापा शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- पीसीओएस (PCOS): पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक और महत्वपूर्ण कारण है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- आनुवांशिक (Genetics): अगर आपके परिवार में किसी को यूटराइन, ओवेरियन या ब्रेस्ट कैंसर है, तो आपको यूटराइन कैंसर होने की संभावना 10-15% तक बढ़ जाती है, जो कि सामान्य से कहीं अधिक है।
- हार्मोनल थेरेपी: मेनोपॉज के बाद कुछ महिलाएं हार्मोनल टैबलेट्स लेती हैं, जो इस कैंसर का एक कारण बन सकता है।
चेतावनी के संकेत: जब हो जाएं सावधान
यूटराइन कैंसर की अच्छी बात यह है कि यह शुरुआती दौर में ही कुछ संकेत देता है। अगर आप इन पर ध्यान दें तो समय पर इसका इलाज संभव है:
- असामान्य रक्तस्राव: पीरियड्स के पैटर्न में बदलाव, बहुत दिनों तक ब्लीडिंग होना, या दो पीरियड्स के बीच में रक्तस्राव होना सबसे प्रमुख लक्षण है।
- पेल्विक दर्द: पेट के निचले हिस्से में लगातार दर्द महसूस होना।
- यूरिन या स्टूल पास करने में परेशानी: कैंसर के बढ़ने पर यूट्रस का आकार बढ़ जाता है, जिससे पेशाब या मल त्याग में दिक्कत हो सकती है।
यदि आपको ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
निदान और उपचार के विकल्प
डॉक्टर सबसे पहले एक क्लीनिकल चेकअप और अल्ट्रासाउंड करवाते हैं। इसके बाद, बायोप्सी के माध्यम से कैंसर के प्रकार और उसकी गंभीरता का पता लगाया जाता है। यह एक मिथक है कि बायोप्सी से कैंसर फैलता है। बल्कि, यह सही इलाज के लिए बहुत जरूरी है।
उपचार के तरीके:
- सर्जरी: शुरुआती स्टेज में सर्जरी सबसे प्रभावी इलाज है। इसमें गर्भाशय और ओवरीज को निकालना पड़ता है। आजकल मिनिमल एक्सेस सर्जरी (Minimal access surgery) जैसे कि लैप्रोस्कोपी या रोबोटिक सर्जरी की मदद से मरीज की रिकवरी बहुत तेजी से होती है।
- हार्मोनल थेरेपी: युवा महिलाओं के लिए, जो अभी मां बनना चाहती हैं, प्रोजेस्ट्रॉन थेरेपी (progesterone therapy) एक विकल्प है। इस थेरेपी से कैंसर नियंत्रित होता है, जिससे उन्हें बच्चा पैदा करने का समय मिल जाता है।
- कीमोथेरेपी: कुछ मामलों में, खासकर यदि कैंसर ज्यादा फैला हुआ हो, तो सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी (Chemotherapy) की भी जरूरत पड़ सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इलाज का फैसला एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम (Multi-disciplinary team) लेती है, जिसमें सर्जन, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और रेडिएशन एक्सपर्ट शामिल होते हैं।
इलाज के बाद की देखभाल और रिकरेंस रेट
इलाज के बाद, नियमित फॉलो-अप बहुत जरूरी है। कैंसर के दोबारा होने की संभावना पहले दो सालों में ज्यादा होती है।
- लाइफस्टाइल में बदलाव: मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं को नियंत्रित रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
- मनोवैज्ञानिक मदद: इलाज के बाद मानसिक रूप से मजबूत रहने के लिए किसी काउंसलर से सलाह लेना भी फायदेमंद हो सकता है।
मोटापा और डायबिटीज से जुड़े कैंसर का दोबारा होने का खतरा आमतौर पर कम होता है, लगभग 10%। लेकिन, स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस जोखिम को और भी कम किया जा सकता है।
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