Dhadak 2 Review
Dhadak 2 नाम से आई यह फिल्म, 2018 में आई ‘धड़क’ का एक आध्यात्मिक सीक्वल है, जो एक बार फिर दर्शकों को सामाजिक विभाजनों और प्रेम की जटिलताओं की दुनिया में ले जाती है। शाजिया इकबाल द्वारा निर्देशित इस फिल्म में सिद्धार्थ चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म की कहानी एक ऐसे लड़के की है जो दलित समुदाय से आता है और एक लॉ कॉलेज में पढ़ता है। यहाँ उसकी मुलाकात एक ऐसी लड़की से होती है जो उससे उच्च जाति की है। फिल्म उनके प्यार और इस रिश्ते में आने वाले संघर्षों को दर्शाती है।

संवेदनशील कहानी जो दिल को छू ले
फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष इसकी कहानी को संभालने का तरीका है। यह सिर्फ दो लोगों के प्यार और टकराव की कहानी नहीं है, बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक मुद्दे को खूबसूरती से और जिम्मेदारी के साथ पेश करती है। निर्देशक ने इस विषय को इतने परिपक्व तरीके से दिखाया है कि दर्शक भावुक तो होते हैं, लेकिन कहानी उन्हें किसी भी तरह के नकारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित नहीं करती। शुरुआत में, निर्देशक शाजिया इकबाल के लिए यह एक चुनौती लग सकती थी, लेकिन उन्होंने इस कहानी को बेहद शानदार तरीके से पेश किया है।
सिद्धार्थ और तृप्ति की दमदार परफॉर्मेंस
फिल्म का एक और महत्वपूर्ण पहलू इसके मुख्य कलाकारों का अभिनय है। Dhadak 2 में सिद्धार्थ चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी ने अपने-अपने किरदारों को पूरी ईमानदारी से निभाया है। यह पहली बार है जब ये दोनों कलाकार एक साथ स्क्रीन पर नजर आए हैं, और उनकी केमिस्ट्री बहुत ही प्रभावशाली है। तृप्ति डिमरी का एक मोनोलॉग (स्वगत भाषण) खास तौर पर बहुत ही दमदार है, जिसमें वह अपने किरदार के दर्द और सामाजिक संदेश को बखूबी बयां करती हैं। वहीं, सिद्धार्थ चतुर्वेदी का अभिनय फिल्म के अंतिम भाग में एक अलग ही स्तर पर पहुँच जाता है, जो निश्चित रूप से दर्शकों को पसंद आएगा। उनका किरदार जिस तरह से अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है, वह देखने लायक है।
खलनायक ने लूटी महफ़िल: सौरभ सचदेवा का अभिनय
फिल्म में अगर कोई एक कलाकार सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, तो वह हैं सौरभ सचदेवा। उन्होंने फिल्म में एक नकारात्मक किरदार निभाया है, और उनका अभिनय इतना स्वाभाविक और यथार्थवादी है कि आप उनसे घृणा करने लगेंगे। एक खलनायक का किरदार तब सफल माना जाता है, जब दर्शक उसे देखकर गुस्सा महसूस करें। सौरभ सचदेवा ने इस पैमाने पर खुद को पूरी तरह से खरा साबित किया है। उनके अलावा, सिद्धार्थ के पिता के किरदार में विपिन शर्मा का अभिनय भी सराहनीय है। ऐसे संवेदनशील किरदार को निभाने के लिए वाकई हिम्मत चाहिए होती है, और उन्होंने इसे बखूबी निभाया है।
संगीत और फिल्म का अंत
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक (BGM) इसकी कहानी को और भी प्रभावी बनाता है। फिल्म में कुछ गाने ऐसे हैं जिन्हें आप बार-बार सुनना पसंद करेंगे, हालांकि बाकी गाने उतने प्रभावशाली नहीं हैं। फिल्म का अंत भी बहुत ही ठोस है। हालांकि, यह कहा जा रहा है कि फिल्म का अंत मूल कहानी से अलग है, लेकिन यह भी अपने आप में काफी मजबूत है। फिल्म खत्म होने के बाद तुरंत बाहर न जाएँ, क्योंकि एक मिड-क्रेडिट सीन है जो कहानी पर एक गहरा प्रभाव छोड़ता है।
कुल मिलाकर, Dhadak 2 मूवी एक विचारोत्तेजक और भावनात्मक फिल्म है। इसमें कोई नग्नता या आपत्तिजनक भाषा नहीं है, बस एक किसिंग सीन है, जो आजकल की फिल्मों में आम बात है। हमारी तरफ से इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार मिलते हैं।
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