‘Son of Sardaar 2’ Review

अजय देवगन स्टार ‘Son of Sardaar 2‘ आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म 2012 की हिट ‘सन ऑफ सरदार’ का सीक्वल है। अगर आप सोच रहे हैं कि यह फिल्म देखने लायक है या नहीं, तो आइए जानते हैं इसकी कहानी, कॉमेडी और परफॉर्मेंस का एक विस्तृत विश्लेषण।
क्या है फिल्म की कहानी?
‘Son of Sardaar 2’ की कहानी अजय देवगन (जस्सी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे उसकी पत्नी छोड़ चुकी है। अकेला जस्सी एक पाकिस्तानी परिवार को सहारा देता है। परिवार की एक लड़की की शादी करवानी है, जिसके लिए जस्सी उसका ‘फर्जी पिता’ बनकर शादी की तैयारियों में जुट जाता है। इसके बाद क्या होता है, यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा।
कॉमेडी: हंसाती है या तरसाती है?
फिल्म का ट्रेलर देखकर लगता है कि यह ‘हाउसफुल 5’ जैसी माइंडलेस कॉमेडी है, जहां लॉजिक को किनारे रखकर हँसना जरूरी है। ‘Son of Sardaar 2’ में भी यही पैटर्न देखने को मिलता है। कुछ दर्शकों को इसकी कॉमेडी पसंद आ सकती है, लेकिन हर किसी को यह हंसा पाए, ऐसा जरूरी नहीं है।
फिल्म में कॉमेडी के लिए दोहरे अर्थ वाले डायलॉग्स का इस्तेमाल किया गया है। रिव्यू में बताया गया है कि फिल्म के फर्स्ट हाफ में केवल एक या दो मौकों पर ही हंसी आती है। अजय देवगन का ‘सन ऑफ सरदार’ टाइटल सॉन्ग पर डांस भी एक ऐसा ही मजेदार पल है।
फिल्म में ‘हंगामा’ जैसी फिल्मों की तरह कंफ्यूजन से कॉमेडी पैदा करने की कोशिश की गई है, लेकिन यह कई जगह पर थोपी हुई लगती है। अजय देवगन ने एक भोले-भाले सरदार का किरदार अच्छी तरह से निभाया है, लेकिन पंजाब की संस्कृति से परिचित लोगों को यह थोड़ा अतिरंजित लग सकता है।
परफॉर्मेंस और डायरेक्शन
फिल्म में सभी एक्टर्स ने अपनी-अपनी भूमिकाएँ निभाई हैं, लेकिन सबसे अटपटा लगता है उनका मिला-जुला एक्सेंट। कोई पाकिस्तानी-पंजाबी बोल रहा है तो कोई बिहारी-पंजाबी, जो सुनने में कई जगह अजीब लगता है। फिल्म का मुख्य उद्देश्य दर्शकों का मनोरंजन करना है, और अगर आप बिना किसी लॉजिक वाली कॉमेडी पसंद करते हैं, तो यह आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
अगर आपको बिना सिर-पैर वाली कॉमेडी देखना पसंद है, तो आप इसे देख सकते हैं। हालांकि, फिल्म में कुछ ऐसे डायलॉग्स भी हैं जो परिवार के साथ देखने में असहज कर सकते हैं।
और जानकारी के लिए नियमित विज़िट करें www.bharatkhabarlive.com