खेल के मैदान पर भी सियासत हावी? जानिए WCL में भारत-पाकिस्तान मैच रद्द होने की पूरी कहानी

भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही राजनीतिक बातचीत ठप हो और सीमा पर शांति हो, लेकिन जब खेल की बात आती है, खासकर क्रिकेट की, तो दोनों देशों के बीच तनाव साफ झलकता है। हाल ही में यह तनाव वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लेजेंड्स (WCL) टूर्नामेंट में देखने को मिला, जहाँ भारत और पाकिस्तान के दिग्गज खिलाड़ियों को रविवार को भिड़ना था।
क्या है वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लेजेंड्स (WCL)?
WCL एक ऐसा टूर्नामेंट है जिसमें छह देशों की टीमें हिस्सा लेती हैं। इन टीमों में सेवानिवृत्त या गैर-अनुबंधित खिलाड़ी शामिल होते हैं। यह टूर्नामेंट का दूसरा संस्करण है और इसका आयोजन यूनाइटेड किंगडम में हो रहा है। इसमें भारत, पाकिस्तान, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया की टीमें भाग ले रही हैं, जिनमें कई बड़े नाम शामिल हैं।
भारतीय सितारों का अचानक मैच से हटना: पहलगाम हमले का सम्मान
रविवार को भारत और पाकिस्तान के बीच बहुप्रतीक्षित मुकाबला होना था। लेकिन मैच शुरू होने से ठीक पहले, भारतीय टीम के कुछ शीर्ष सितारों ने इस मैच से हटने का फैसला कर लिया। उन्होंने इस मुकाबले का ‘बहिष्कार’ किया, जिसका कारण इस साल अप्रैल में हुए पहलगाम हमलों को बताया गया।
शुरुआत में, सुरेश रैना, हरभजन सिंह, और यूसुफ पठान ने मैच से हटने की घोषणा की। बाद में, इरफान पठान और शिखर धवन भी उनके साथ जुड़ गए और उन्होंने भी यह मैच न खेलने का निर्णय लिया। उनका यह कदम साफ संदेश था कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों में अभी भी ठंडापन बरकरार है।
आयोजकों को क्यों रद्द करना पड़ा मुकाबला?
क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान के बीच कड़वाहट का एक लंबा इतिहास रहा है। भारतीय राष्ट्रीय टीम ने आधिकारिक तौर पर लंबे समय से पाकिस्तान के खिलाफ कोई द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं खेली है। खिलाड़ियों के इस कदम और संभावित बड़े विरोध प्रदर्शन के डर से, आयोजकों ने अंततः इस मैच को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया।
शाहिद अफरीदी का विवादित बयान और आलोचना
इस घटना पर पाकिस्तान की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं आई हैं। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने इस पूरे विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा:
“हम यहां क्रिकेट खेलने आए हैं। अगर हर बात में राजनीति शामिल होगी तो हम कैसे आगे बढ़ेंगे? एक खिलाड़ी को अपने देश का अच्छा एंबेसडर होना चाहिए, न कि शर्मिंदगी का स्रोत। कभी-कभी एक खराब सेब पूरे दल को खराब कर देता है।”
हालांकि, अफरीदी का यह बयान काफी विरोधाभासी लगता है। पिछले कुछ महीनों में, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बाद, अफरीदी खुद पाकिस्तान के सबसे बड़े समर्थक के रूप में सामने आए थे और उन्हें अक्सर अपने ‘दिखावे’ के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था। उनके हालिया बयान से उनके दोहरे मापदंड साफ दिखते हैं, खासकर शिखर धवन के साथ पहलगाम हमले के बाद हुई उनकी वाकयुद्ध को देखते हुए।
खिलाड़ियों का फैसला: भावनाएं और प्राथमिकताएं
भारतीय क्रिकेटरों को इस मैच से हटने का पूरा अधिकार था, खासकर जब उन्होंने इसकी सूचना आयोजकों को पहले ही दे दी थी। आयोजकों का यह कहना कि वे ‘खुशहाल यादें’ वापस लाना चाहते हैं, सुनने में अच्छा लग सकता है, लेकिन सही के लिए खड़े होना कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, खासकर तब जब भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने अभी तक पाकिस्तान का सामना नहीं किया है।
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट केवल एक खेल नहीं, बल्कि भावनाओं और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। अब देखना यह होगा कि अगर ये दोनों टीमें नॉकआउट स्टेज में पहुंचती हैं तो आयोजक क्या फैसला लेते हैं।